भगवान परशुराम ने माता-पिता का जहां किया था पिंडदान, वह तीर्थ है तुरनाल


गयाजी के समान महत्व है पांच लड्डू तीर्थ का

संजय जोशी, हाटपीपल्या/शैलेंद्र जोशी, इंदौर
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देवास जिले के नेमावर क्षेत्र में तुरनाल गांव में नर्मदा घाट का महत्व बहुत खास है। तुरनाल गांव का उल्लेख नर्मदा पुराण में भी मिलता है। इसमें बताया कि भगवान परशुराम ने अपने माता-पिता का पिंडदान किया था। राजस्थान से महात्मा परशुराम बाबा ने यहां आकर भगवान परशराम का मंदिर बनवाया है।

नर्मदा के उत्तर तट पर नेमावर से पूर्व दिशा की ओर 6 किमी की दूरी पर बसे खातेगांव तहसील के गांव तुरनाल आबादी महज 500 के करीब है। मान्यता है कि यह गांव बिहार के प्रसिद्ध पितृ तीर्थ गयाजी के समान है जो फल पितरों के मोक्ष के निमित्त गयाजी में करने पर फल प्राप्त होता है वैसा ही फल इस स्थान पर पितृ निमित्त कर्म करने पर सहज ही प्राप्त हो जाता है।

तुरनाल स्थित नर्मदा तट पर भगवान परशुराम द्वारा प्रदान किए गए पिंड जो शिला पर अंकित हैं, ऐसी मान्यता है।

अंबानी का भी यहीं हुआ था पिंडदान
तुरनाल गांव के जयप्रकाश शर्मा, कमल पचोरी, मुरझाल निवासी रामू पवार और मंगलेश यादव नेमावर ने बताया करीब एक दशक पूर्व तुरनाल गांव में अंबानी परिवार के सदस्य भी आए थे और धीरूभाई अंबानी का पिंडदान किया था।

नर्मदा यात्रा के दौरान दलाई लामा भी यहां आए थे।

प्रशासन की उपेक्षा शिकार
यह स्थान प्रशासन की उपेक्षा का शिकार रहा है। इस पौराणिक महत्व के स्थान पर कभी प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पहुंच मार्ग खस्ताहाल है, बारिश के दिनों में मुख्य मार्ग से भी संपर्क कट जाता है। सुनील शर्मा, राहुल पंवार, कैलाश पटेल, सुरेश कीर, लखन गिरी, रामदीन पंवार एवं जगदीश पंवार ने बताया जबसे यहां पर धर्मगुरु दलाई लामा की सूचना मिली है तब से ग्रामवासी उत्साहित हैं।

बडे़ बाबा आश्रम के महंत संत रामस्वरूप दास शास्त्री महाराज ने बताया कि नर्मदा पुराण के अनुसार उक्त स्थान नर्बदा तट पर भगवान परशुराम ने अपने पिता जमदग्नि ऋषि एवं माता रेणुका के इशलोकगमन के बाद पिंड प्रदान कर तर्पण किया था। वे पांच पिंड आज भी यहां शिला पर बने हैं। यही कारण है कि यहां अनेक प्रांतों से श्राद्ध पक्ष में लोग तर्पण करने पहुंचते है। 12 महीने लोग इस स्थान पर पितृ दोष निवारण करने आते रहते हैं।

भगवान परशुराम की आकर्षक प्रतिमा 
 पिछले वर्ष राजस्थान से यहां पहुंचे महात्मा परशुराम बाबा ने भगवान परशुराम का मंदिर निर्माण करवाया जिसमें भगवान परशुराम की आकर्षक खड़ी प्रतिमा एवं परशुराम महादेव के लिंग की भव्य आयोजन कर स्थापना की गई। यहीं पर धर्मशाला निर्माण कर नर्मदा परिक्रमा वासियों के ठहरने की व्यवस्था के साथ ही प्रतिदिन सदाव्रत प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
मां नर्मदा के नाभिस्थल नेमावर से करीब छह किमी दूर नर्मदा-गोनी का संगम स्थल है तुरनाल। यह पितरों के तर्पण के लिए श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इसे लोकभाषा में पांच लड्डू के नाम से जाना जाता है। यहां श्राद्धपक्ष में तर्पण के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान परशुराम ने अपने पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका का पिंडदान किया था। इस कारण इस स्थान का महत्व बिहार के गयाजी के समान माना गया है। प्रचार-प्रसार के अभाव में यह स्थान उतना प्रचलित नहीं हो पाया, जितना इसका महत्व है। इस स्थल पर विकास कार्य नहीं हो पाए। हालांकि वर्तमान में यहां भगवान परशुराम का मंदिर बनाया गया है।