हर प्रदेश में होना चाहिए विप्र बोर्ड / विप्र कारपोरेशन



 विप्र बोर्ड / विप्र कारपोरेशन

#Advance_Draft_of_UP_Brahman_Welfare_Corporation*


सरकार को सहयोग करने के क्रम में पूरा प्रोजेक्ट बना कर श्री मन मोदी जी और श्री योगी जी को भेज रहे है। ब्राह्मण कॉर्पोरेशन संस्था किस प्रकार कार्य करेगी, कौन लाभान्वित होगा, इससे सरकार के काम काज में कितना सहयोग मिलेगा और सामाजिक स्तर पर क्या बदलाव होगा। 


इसी प्रकार 2018 में राजस्थान में चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस को पूरा प्रोजेक्ट समझाया था जिसका सुखद परिणाम दोनों राजनितिक दलों ने अपने घोषणापत्र में विप्र कल्याण बोर्ड बनाने के लिखित वायदा किया। लेकिन दुखद की राजस्थान में अनशन, रैली पर बैठने के बाद भी केवल आश्वासन ही मिल रहा है। 


CA Manindra Tiwari (Brahram International)  ने 2018 में पूरे देश में सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखा कि तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की भांति गरीव ब्राह्मणों के लिये एक कॉर्पोरेशन या बोर्ड बनाया जाए, जिससे गरीव निरीह ब्राह्मण का कुछ जीवन स्तर ऊपर आ सके और में सहयोगी बना। वसुंधरा मुख्य मंत्री ने पुरे मनोयोग से सुना और बोली “मिश्रा जी, अगर मेरी सरकार आ गई तो निश्चित ही बोर्ड बना दूंगी।”


अभी तक भारत में बने कार्पोरेशन  / बोर्ड 


आंध्र प्रदेश 2014 - 220 Cr

(http://www.andhrabrahmin.ap.gov.in/)


तेलेंगाना- 2015 - 100Cr

(https://brahminparishad.telangana.gov.in/FirstPage.do)


आसाम - 2016 - 50Cr

(https://wptbc.assam.gov.in/frontimpotentdata/list-of-development-council)


कर्नाटक - 2108 - 25 Cr

(https://ksbdb.karnataka.gov.in/english)


हिमाचल  - 2021 - असीमित 

(http://www.himachalpr.gov.in/OneNews.aspx?Language=1&ID=833)


पंजाब - आर्डर निकल चूका है 

(https://indianexpress.com/article/india/in-poll-year-captain-amarinder-singh-govt-in-punjab-notifies-brahmin-welfare-board-7248819/)


राजस्थान - प्रस्तावित 

अनशन रैली के बाद भी बोर्ड नहीं बना जब की सरकार पाने घोषणा पत्र में लिखित आश्वासन दे चुकी है। चार बजट निकल चुके है। हमारे राजस्थान में 2 लाख 60 हज़ार ब्राह्मण गरीवी रेखा के नीचे (BPL) में आते है। 


【BPL के नीचे का एक नियम - नए नियमों के अनुसार शहरों में महीने में #रुपये_859_60 पैसे और 

ग्रामीण क्षेत्रों में #रुपये_672_80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। इसके नीचे कमाई करने बाले को BPL के नीचे माना जाता है। यह केवल एक ही नियम बताया है जिसने मकान जमीन भी नही हो सकती। 


यूपी की स्थिति सबसे दयनीय है, आज उड़ीसा में ब्राह्मण गरीवी के कारण अपनी बच्चियों को बेचने के लिये मजबूर है। राजस्थान में गरीवी के कारण रिक्सा, मजदूरी, शौचालय में काम करने के लिये मजबूर है। दिल्ली में दान देने के बहाने कई ब्राह्मणों को सुलभ शौचालय में काम करते अपनी आंखों से देखा है। 


यूपी में लगभग 7 लाख ब्राह्मण BPL में आते है, दो समय की रोटी के लिए तरसते हुए। यूपी में एक ऑटो बाले से मिलने पर हम दोनों गले लग कर रोने लगते है जब वह कहता है कि समाज में उसको शादी समारोह में बुलाया नहीं जाता क्यों कि समाज एक ऑटो बाले को सम्मान की नज़र से नहीं देखा जाता? 


क्या आपको क्या (विरोध करते है बोर्ड का )? 10 से 50 हज़ार रुपये का मोबाइल महीने की एक BPL ब्राह्मण की महीने की कमाई से अधिक का नेंट प्रयोग करने बालो ब्राह्मणो को क्या है? दुनियां जहाँ की चिंता में डूबे ब्राह्मणो आप को क्या अंतर पड़ता है? आपको चिंता है पाकिस्तान की, इज़राइल की, सर्वोच्च न्यायालय की और सबसे अधिक आप व्यवस्त है राजनीतिक दलों की कार्यवाही देखने में। 


किसी एक राजनीतिक पोस्ट पर आप घंटो बहस कर सकते है? किसी अश्लील (मुंह ना दिखाने बाली लाइव वीडीओ) पोस्ट या वीडियो पर आप घंटो लगे रह सकते है, पर ब्राह्मण या सनातन की पोस्ट पर आपका ध्यान नहीं जाता है? 


हम सब किसी राजनीतिक दल के खूंटे से बंधे #गधे नहीं है याद रखें... आज सभी जातियाँ चाहे राजस्थान के गुजर या महाराष्ट्र के मराठी या गुजरात के पटेल हो अपनी जातियों को शसक्त करने का प्रयास कर रही है। क्यों कि आज राजनीति जाति पर निर्भर है। कहने को सभी ज्ञानी कहते है कि जातिगत राजनीति बन्द करो... सुप्रीम कोठा भी यही कहता है.... पर? वास्विकता आप भी जानते है और मैं भी....! 


दूसरे आप क्या सोच कर पृथ्वी पर आए थे कि मुझे ब्राह्मण कुल में जन्म लेना है? यह पूर्व जन्म के संस्कार है या प्रदत्त!! आप जो समझे !! जिस कुल और परिवार में जन्म लेते है उसको देखना, संभालना हमारा प्रथम कर्तव्य होता है। यह जातिवाद नहीं यह प्रथम कर्तव्य है। 


स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् । 

परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ॥


लाखों की संख्या में 1880 ई. के बाद जब गुरुकुल बन्द हुए तो एक सम्मानीय शिक्षक ब्राह्मण भिखारियों की लाइन में खड़ा हो गया और अपने परिवार के भरण पोषण के लिये समाज से पहले परिवार और स्वमं के लिये समर्पित हो गया और शनः शनः स्वार्थी हो गया। 


ब्राह्मण बोर्ड बनाने का निवेदन सभी राजनीतिक दलों को दिया था। मैंने और मणीन्द्र ने पूरा प्रयास किया था कि राहुल जी से मिलने का समय मिल सके पर असफलता हाथ लगी। सभी राजनीतिक दलों के पास यह प्रपोजल था कोई भी ले सकता था। हमारा उद्देश्य केवल ब्राह्मण हित है.... केवल ब्राह्मण अब चाहे काला कौए से मिले!


संभव है आप किसी राजनीतिक दल के समर्थक या आपका हित जुड़ा हो तो कोई बुराई नहीं है पर जब बार ब्राह्मण की हो तो खुल नहीं तो कम से कम राजनीतिक हित को एक हाथ और दूसरे हाथ से ब्राह्मण का समर्थन कर सकते है। क्या नहीं कर सकते? 


यदि हम सभी एक भाषा, एक सुर, एक ताल में बोलने लगे तो आज भी हम अपनी पुराना सम्मान पा सकते है। पर शायद अन्य लोगो को, राजनीतिक दलों को पता है कि हमारा समाज के लोग एक दूसरे की टांग के नीचे लटका हुए है। 


संस्थाएं इस पर नितांत चुप है क्यों कि हर संस्था के अधिकारियों का हित बीजेपी या कांग्रेस में टिकट के लिए या धन के लिए जुड़ा है।


ना तो हम सब की कोई संस्था है, ना ही कोई संगठन!


है तो केवल हमारा कुल, ब्राह्मण कुल, ब्राह्मण समुदाय !!


इतना लिखने के बाद भी यदि आप नही समझते को कोई बात नहीं। 


ॐ ॐ ॐ 

डॉ विजय मिश्रा

जयपुर


*सहमत है और यदि सहयोग करना चाहते है इस पोस्ट को वायरल कीजिए।*